Maharani Season 3 Review: एक नायिका के प्रेरणादायक, राजनीतिक उत्कृष्टता और रोमांचक नाटक का नया अध्याय

सोनी लिव की प्रतीक्षित वेब सीरीज ‘महारानी’ का 3 Season ओटीटी पर 07 March को स्ट्रीम हो रहा है। इस सीरीज की कहानी सीजन दो के आगे की है, जिसमें रानी भारती राजनीतिक दंगल की बड़ी खिलाड़ी बनकर उभरी हैं। सीरीज के क्रिएटर सुभाष कपूर ने इस बार निर्देशन की जिम्मेदारी सौरभ भावे को दी है जो सुभाष कपूर की सोच को लेकर आगे बढ़ने वाले, इससे पहले ‘महारानी’ वेब सीरीज के पहले सीजन का निर्देशन करने वाले करण शर्मा और दूसरे सीजन के निर्देशक रवींद्र गौतम हैं|

महारानी सीजन 3 की कहानी उसी संदर्भ से शुरू हो रही है जहां पिछले सीजन ने अपनी कहानी को समाप्त किया था। रानी भारती तीन सालों से जेल में हैं, और उनके राजनीतिक सलाहकार, मिश्राजी, बार-बार जमानत पर जेल से बाहर आने की सलाह देते हैं, लेकिन रानी भारती हर बार मना कर देती हैं। इसी बीच जब रानी भारती के बच्चों पर जानलेवा हमला होता है, तब वह जमानत पर बाहर आती हैं। रानी भारती के विरोधियों को लगता है कि जेल में रहकर वह अपनी पढ़ाई पूरी कर रही हैं, लेकिन इस आड़ में वह जेल में अपनी सेना तैयार करती है और जेल से बाहर आने के बाद ना सिर्फ खुद को पति की हत्या के आरोप से बेकसूर साबित करती है बल्कि अपने विरोधियों को पटकनी देते हुए एक बार फिर बिहार के सियासत की महारानी बनती हैं।

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इस सीरीज के पहले सीजन में, एक अनपढ़ और घर-गृहस्थी की जिम्मेदारियों में रही महिला की कहानी दिखाई गई थी, जो मुख्यमंत्री बनने का सफर तय करती है और प्रदेश की राजनीति में अपनी छाप छोड़ती है। दूसरे सीजन में आरक्षण और अलग झारखंड राज्य की मांग को प्रमुख स्थान दिया गया है। और, अब तीसरे सीजन में रानी भारती को सियासत की खिलाड़ी के रूप में दिखाया गया है, जिसकी सियासी चाल से राजनीति के अखाड़े के बड़े-बड़े धुरंधर चकमा खा जाते हैं। इस सीरीज की मूल कड़ी रानी भारती और नवीन कुमार हैं।

सीरीज के निर्देशक सुभाष कपूर ने इस कहानी को नंदन सिंह और उमा शंकर सिंह के साथ मिलकर रचा है। पटकथा मजबूत है और संवाद बहुत रोचक है। यहां एक कहावत है कि सूर्य, चंद्र और सत्य को कभी भी छुपाया नहीं जा सकता है, पूरी सीरीज इसी कहावत के इर्द-गिर्द घूमती है। रानी भारती और नवीन कुमार अपनी-अपनी राजनीतिक विरासत को बचाने के लिए किस तरह से एक दूसरे पर वार करते हैं, यही इस सीरीज का मूल सार है। राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोग बिहार की राजनीति से अच्छी तरह से परिचित होंगे। भले इस सीरीज की कहानी, किरदार, स्थान, घटनाएं, रहन-सहन, कानूनी-प्रक्रियाएं, धार्मिक मान्यताएं सब काल्पनिक बताए जा रहे हैं, लेकिन सीरीज देखने के बाद साफ पता चलता है कि कलाकार किन किरदारों को निभा रहे हैं।

तीसरा सीजन में हमें आठ एपिसोड्स का अनुभव हो रहा है। इस बार, कहानी में ज्यादा कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है; कुछ एपिसोड्स की रफ्तार बहुत ही धीमी है। यह ऐसा लगता है कि कहानी को जबरन खींचा जा रहा है। बावजूद इसके बिहार की सामाजिक और राजनीतिक घटनाक्रमों इस सीरीज में जिस तरह से पेश किया गया है, वह काफी रोचक लगते हैं। एक दिन, सुबह की किरणों के साथ, राजनीति की दुनिया में एक नया पृष्ठ खुला। महिला मुख्यमंत्री ने अपने पहले कदम से बड़े नेता की ऊँचाइयों की ओर बढ़ा, एक नए रूप में परिणामी नेतृत्व की दिशा में। और माना जाता है कि बिहार प्रदेश से अगर प्रधानमंत्री के पद के लिए कोई दावेदार हो सकता है तो वह रानी भारती है।

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